सच्चा दोस्त बनाम नकली दोस्त: फर्क कैसे पता करें

हम सभी लोगों को तरक्की और खुशियों के मौकों पर बधाइयाँ देने वाले हजारों मित्र मिलेंगे, लेकिन जब हम सामना जीवन के कठिन परिस्थितियों और चुनौती से होगा, तब मुश्किल से साथ देने वाले मित्र मिलते हैं।

तो क्या, हम चाहेंगे कि जीवन में कठिन दौर आयें ही नही। बिलकुल भी नही, क्योंकि, जिंदगी का सच भी यही है कि जबतक जीवन में बुरे वक़्त ना आये तबतक दोस्तों की अग्निपरीक्षा नही होती है। इसलिए हम सभी के जीवन में कठिन वक़्त का आना भी अच्छा होता है।

हमें ऐसी परिस्थितियों में ही मतलबी दोस्त और सच्चे दोस्तों के बीच के फर्क को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलता है। आज के लेख में मित्रता से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां और सुझाव मिलेंगे।

जिसमें फेक बन्धुओं से नुकसान और सच्चा बंधुता के एहमियतता को संक्षिप्त भाषा में समझेंगे। कंही ऐसा ना हो कि आज जिसे अपना मानने की गलतफहमी में हम जी रहे हैं, वह हमसे सिर्फ मतलब का रिश्ता रख रहा हो।

1. सच्चे दोस्त की पांच प्रमुख निशानियाँ

1a. वफादारी

सच्चा दोस्त जिंदगी के हर मोड़ पर हमेशा साथ देगा। कभी भी मुश्किल हालातों में छोड़ कर नही भागेगा। कोई भी मुश्किल की घड़ी आये, सच्चा दोस्त हमेशा वफादारी निभाएगा। और वफादारी भी इस तरह नही निभाएगा कि आप गलत हो तो आपके हर गलत काम में भी साथ देगा। बल्कि आपको गलत राह से बचाने के लिए वफादारी निभाएगा।

1b. बेहतर सलाहकार

असल मित्र हमेशा आपका तारीफें करते नही रहेगा। जब आप गलत होंगे, तो आँखों में आँखें डालकर आपके गलतियों को सामने जाहिर करेगा। भले ही बाकी दुनिया आपके तारीफों का महल खड़ा कर दे, लेकिन आपका बंधु सही और गलत दोनों पहलुओं को समझाएगा।

1c. स्वीकार्यता

सच्ची मित्रता में रंगरूप, ऊँचनीच, जातिबिरादारी कोई मायने नही रखता है। आप जैसे हो वैसे ही स्वीकार होंगे। वह आपको बदलने की कोशिश नही करेगा। हाँ, आपको बेहतर बनाने के लिए जरुर कोशिश करेगा।

1d. सहानभूति

सच्चा दोस्त भावनाओं की कदर करता है। आपकी भावनाओं का कभी कभी मजाक नही उड़ाएगा। आपका सम्मान करेगा। आपके गोपनीय बातों को किसी ओर लोगों से बांटकर मजाक नही बनाएगा।

1e. हमेशा साथ देगा

सच्ची बंधुता आपको कभी भी अकेले छोड़कर नही जायेगा। मान लीजिये किसी एक ने कंही घूमनें का प्लानिंग किया है तो दुसरे को बिना बताएं और अकेले नही जाएगा। आपको साथ घुमने को राजी करने के लिए भरकस कोशिश करेगा।

हो सके तो आपके बिना वह घुमने का प्लानिंग ही कैंसिल कर दे। हर छोटी-छोटी खुशियों को आपस में मिलजुलकर आनंद उठाएंगे।

2. नकली दोस्तों की कुछ निशानियाँ

ऐसे दोस्त सिर्फ अपने जरुरत के समय लोगों को याद करते हैं। ये लोग रिश्ता भी उन्ही लोगों के साथ रखेंगे, जिनलोगों से इनको फ़ायदा होगा। अगर फ़ायदा ना हो तो ये रिश्ता भी नही रखते हैं।

ठीक वंही जब आपका जरुरत होगा तो उनके पास समय नही होगा, आपके मदद करने के समय कुछ ना कुछ बहाना बनाकर हमेशा टालने की कोशिश करेंगे। ऐसे लोग हमेशा चुगलखोर होते हैं।

दूसरों के सीक्रेट बातों को इधर से उधर करने में माहिर है। दोस्तों के आपसी गहरी दोस्ती को तोड़ने में ये लोग बहुत उस्ताद होते हैं। ये भले ही सामने तारीफ करेंगे, लेकिन पीठ पीछे कभी भी इनका मन कभी तारीफ़ करने का इरादा नही होता है।

इनसे किसी का तारीफ़ करना मज़बूरी है, क्योंकि आपसे ढेर सारा फ़ायदा भी तो उठाना है। आपका आलोचना ज्यादा करेंगे लेकिन तारीफ नही करेंगे। आपके निजी, गोपनीय बातों, भावनाओं को दूसरों तक पहुचायां करेंगे, मज़ाक उड़ायेंगे, और दूसरों के सामने तुच्छ दिखने का प्रयास करेंगे।

ये अपने जरुरत का काम बड़ी चालाकी से आपसे करवा लेंगे। इनकों आपके जीवन में होने वाले परिस्थितियों से कोई भी मायने नही रखता है। और जिस दिन आप उनके मदद करने में असहाय हो जायेंगे, उस दिन से आपसे दुरी बना लेंगे।

कुछ समय बाद आपको या तो ब्लाक कर देंगे, या फ़ोन नंबर ही बदल देंगे। या फिर जवाब देना ही भूल जायेंगे। और जब भी आम अपने काम के लिए फ़ोन करके सहायता मांगोगे, ये लोग बिजी / व्यस्त बताकर फोन काट देंगे।

3. क्या एक ही दोस्त जिंदगीभर साथ रहता है

दोस्ती हमारे जीवन में सबसे मूल्यवान रिश्तों में से एक है। लेकिन सवाल यह है कि क्या एक दोस्त जीवन भर साथ रहता है?

इस सवाल का जवाब हाँ भी है और ना भी है। क्योंकि बढ़ते उम्र के साथ हमारा जीवन कई पड़ाव से होकर गुजरता है। इन पड़ावों में हमारे जीवन में कई बदलाव आते है।

हमें नौकरी के कारण दूर होना पड़ता है, सबके शादियाँ होंगे, बच्चे होंगे, परिवार बड़ा होगा। घर के जिम्मेवारियों माता-पिता से उठकर हमारे कंधों पर आ जायेंगे। आखिर हो भी क्यों नही, क्योंकि हमारे माता पिता बूढ़े हो रहे हैं।

उनका ख्याल की जिम्मेवारी अब उनके बच्चों को रखना होगा। इसी जिम्मेदारियों के बोझिल जिन्दगी में दोस्तों से रिश्ता मात्र जरूरतभर तक सिमट जायेगा। जब आपका शादी होगा, तब आपका सबसे करीबी दोस्त आपका जीवनसाथी ही होगा।

पर इसका मतलब यह भी नही कि बचपन में जिन साथियों ने साथ दिया उनका महत्व शादी के बाद ख़त्म हो जाना चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो बेशक आप दोस्ती के वफादारी, विश्वास, और ईमानदारी को खो देंगे।

4. दोस्ती कब टूटती है

4a. विश्वासघात

मित्रता के बिखरने में सबसे बड़ा कारण विश्वासघात ही है। जब मित्र आपपर भरोसा करके निजी बातें शेयर करें, और आप है कि उन बातों को दुनिया में सबको बताते फिरे तो भावनाएं आहत होते हैं।

4b. ईर्ष्या

बंधुता में ईर्ष्या की कोई जगह नही होना चाहिए। ईर्ष्या मनमुटाव पैदा करता है। एकदुसरे में षड़यंत्र से अन्तःविरोधी भावनाओं को बढ़ाकर संबंधों में खटास डालता है।

4c. समय की कमी

आपको हर रिश्ते के लिए समय देना चाहिए ।यह सिर्फ दोस्ती तक ही सीमित नही है।

क्योंकि अकसर आपने सुना होगा कि अगर मुट्ठीभरी रेत में से नमी धीरे-धीरे अगर ख़त्म होने लगे, तो हम कितनी भी ताकत से मुट्ठी बंद रखें, रेत को एक-न-एक-दिन फिसलकर जाना ही है।

इसलिए रिश्तों को बचाने के लिए, थोड़ी-थोड़ी वक़्त निकालकर हालचाल पूछ लेना ही चाहिए।

4d. उपेक्षा

उपेक्षा का मतलब, दो लोगों के बीच के संबंध में एक ही इंसान रिश्ते को बचाने के लिए बहुत मिन्नतें और कोशिशें कर रहा है, वही दुसरे को आपके होने या ना होने से कोई फर्क ही नही पड़ता है।

इसी तरह का किसी को बार-बार नजरअंदाज करने से एक ही इंसान के लिए रिश्ते को बरक़रार रखना बोझिल हो जाता है।

4e. पैसों की समस्या

एक दोस्त तरक्की की राह में आगे बढ़ जाए, और दूसरा आपने जीवन चलाने के लिए जद्दोजहद करने लगे, तो कुछ समय बाद दोस्ती अपनेआप दुरी बना लेता है।

क्योंकि आर्थिक परिस्थितियां लोगों के जीवनशैली और सोच-विचारने के तरीकों में बदलाव लाते हैं। जीवन की प्राथमिकतायें के अलावा बंधुता के मायने भी बदल देते हैं।

4d. स्वार्थ

अपने हितों के समय रिश्ता रखना, और दुसरे के जरूरतों के समय बहाना बनाना, इग्नोर करना, स्वार्थपन की निशानी है। और मित्रता में स्वार्थपन रिश्ते को पूरी तरह बर्बाद कर देता है। किसी से दोस्ती रखोगे तो, सामने वाला इंसान भी थोड़ी उम्मीद जरुर रखेगा।

5. मेरे एक भी दोस्त नही है क्यों ?

मित्र ना होने के हालाँकि इसके कई कारण हो सकते है, लेकिन जो सबसे ज्यादा है, आप लोगों से घुलने मिलने में काफी हिचकिचाहट महसूस करते हो।

नए लोगों से मिलजुल करने में आपको परेशानियाँ होती है। आप दोस्ती को ज्यादा गंभीरता से लेते है।

दोस्त को हद से ज्यादा सुधारने की कोशिश करना। मित्र अगर गलत राह पर जा रहा है तो उसे सलाह दीजिए, थोड़ा-बहुत सुधारने की भी कोशिश कीजिए, लेकिन आप ज्यादा सुधरने की कोशिश करोगे तो आपको ही अपना दुश्मन मानने लगेगा।

आपकी कमाई बाकि साथियों के मुकाबले कम है। जिस कारण अय्याशी नही कर पाते हो। वेवजह पैसों को उड़ाते नही हो। इसके अलावा आप जिसे अपना मानते हो, हो सकता है कि उसके पास आपसे बेहतर कोई ओर करीब हो, तभी साथ छोड़ा होगा।

वैसे भी जिंदगी में ख़राब या बुरे मित्रों का होने से बेहतर है की आप अकेले रहना सिखों। अकेले रहने में भी कोई बुरे नही है। बुरा होता है तो सिर्फ अपने समय को बेहतर तरीके से इस्तेमाल नही करना आता हो।

अगर आपको समय का सदुपयोग करना नही आता है तो मेरे इस लेख को पढ़ो। आपके काम की बहुत ही उपयोगी जानकारी मिलेंगी। और ज्यादा ही ख़राब लग रहा तो मेरा बात आप ध्यानपूर्वक सुनो। अपने कैरिएर पर ध्यान दो कोई भी एक अच्छा आय का जरिया बना लो। पैसा कमाओं और घर बसा लो। आपका जीवनसाथी ही सबसे करीबी दोस्त होगा।

6. सच्चे मित्र का जीवन में प्रभाव

भावनात्मक सहारा:- जब हम बहुत ज्यादा किसी मामलों में भावुक हो जाते हैं, और कई बार ऐसी परिस्थितियां होतें है, जब हम परिवार से भी सहायता नही मांग सकते है। उस वक़्त सच्चा साथी हमेशा भावनात्मक सहारा देता है। हमें ढ़ाढ़स देकर उस परिस्थिति में चुनौतियों से लड़ने की हिम्मत देता है।

निष्पक्ष विचार :- जिस भी विषय पर आप उनसे सलाह मांगो, वे कभी भी अपने हित को ध्यान में रखकर विचार नही देंगे, बल्कि जो भी कहेंगे उसमे वे सभी बाते आपके पास रखेंगे की यह करने से क्या फ़ायदा होगा क्या नुकसान हो सकता है।

मजबूत रिश्ते :- एक दुसरे के सुख-दुःख में शामिल होने से मित्रता मजबूत होता है।

बातचीत के तौरतरीके:- बंधुता में हरवक्त जब भी खाली समय मिले, बातचीत का सिलसिला कभी ख़त्म नही होता है। इन सब से हमें व्यावहारिक बातचीत करने के तौरतरीकों को सिखने मिलता है। हमारे बर्ताव में सुधार आते है, जो हमें अच्छा इंसान बनने में मदद करता है। लोगों से बेहतर तरीके से जुड़ते है।

बेहतर आत्मविश्वास:- आप दुनिया में कितना ही बड़ा फेलियर आज जाए जीवन में, सही साथी हमेशा आपको जब आप लोगों से या किसी से खुलकर व्यक्त कर पाते हैं, तब आपका आत्मविश्वास बढ़ता है।

दोस्ती में हमारे बातचीत का सिलसिला कभी ख़त्म नही होता है। एक दुसरे के राय को बेझिजक सामने रखते है।

अपनेपन का एहसास:- जब वास्तविक दोस्त जीवन में मिलता है, तब जीवन में अकेलापन का एहसास ही नही होता है।साथ-साथ फिल्म देखना, पार्टी करना, पढाई का प्लानिंग करना।

7. अंत में

दोस्ती सोशल मीडिया का फ्रेंड लिस्ट की तरह नही है कि बस लाइक्स और कमेंट्स तक सीमित रह जाए। एक दुसरे के लिए दिलचस्पी भी होनी चाहिए, समय निकलना भी बेहद जरुरी है। समय की कसौटी पर खरा उतरने की क्षमता होनी चाहिए।

पुरानी यारी वही टिकता है, जंहा दोनों ही एक दुसरे के लिए माफ़ी मांगने में हिचकते नही है। रिश्तों के अहमियत को बचाने के लिए अपनी गलतफहमियों को स्वीकारने से ही दोस्ती बिखरने से बच जाता है।

अंत में यही कहुंगा कि, एक दोस्त जीवन भर रह सकता है, लेकिन इसे समय के साथ इसमें आपसी वफादारी और सम्मान बरक़रार रहना चाहिए

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