रिजेक्शन जीवन का हिस्सा मात्र है, परन्तु यह कईयों के लिए, अस्वीकार होना मायूसी और तनाव बढ़ाता है। इसको दुसरे मायनों में समझे तो, रिजेक्शन दूसरों द्वारा अयोग्य ठहराए जाने का स्थिति है।
ऐसे हालात इंसानों को अन्दर से वैसे भावनात्मक परिस्थिति में झोंक देते है, जो उस व्यक्ति को न केवल भावनात्मक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से निचोड़कर रख देता है।
अध्ययनों से पता चला है कि किसी के द्वारा अयोग्य ठहराया जाने से, हमारे दिमाग के वे हिस्से सक्रिय हो जाते है जो शारीरिक दर्द के दौरान सक्रिय होते हैं।
1. परिचय
तो, अस्वीकृति का डर आखिर है क्या ? यह एक ऐसी भावनात्मक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को दूसरों द्वारा इनकार किए जाने की संभावना से मायूसी महसूस होता है।
किसी भी इंसान में यह डर कई कारणों से पैदा हो सकता है जैसे कि सामाजिक कंडीशनिंग, पिछले अनुभव और कम आत्मसम्मान या अपनाप को हीन समझना आदि।
हमें हर कोई अपना ले यह कतई जरुरी नही, लेकिन इसके वजह से हमारे दिमाग में बैठे तनाव को हटाकर जीवन में आगे बढ़ना हमारे वश में है। तो इसके लिए हमें अस्वीकृति के डर के पीछे के मनोविज्ञान को समझना आवश्यक है।
इस ब्लॉग में, हम इन्हीं विषयों को समझेंगे, इस प्रक्रिया में तनाव के डर को दूर करने में खुद से प्यार जिसे आत्म-प्रेम कहेंगे की भूमिका क्या होगा…!
2. रिजेक्शन क्या है
अस्वीकृति जीवन का वह पहलु है, जिससे हर कोई किसी-ना-किसी रूप में गुजरा जरुर है। लेकिन ऐसा होता ही क्यों है? किसी के द्वारा हमें अयोग्य ठहरा देना का तात्पर्य यह नही होता कि, हम किसी के भी काबिल नही है।
बल्कि इसका मतलब यह होता है कि उनके योग्यता के पैमाने पर हम खरा नही उतरते हैं। यह अक्सर तब होता है जब हम सामने वाले के राय को जाने-समझे बिना, ये गलतफहमी अपने मन-मस्तिष्क में बैठा लेते है, कि हम उनके लिए परफेक्ट होंगे।
लेकिन कई मामलों में सच्चाई भी यह होता है कि, उनके जीवन में हमारा होना ना होना कोई मायने नही रखता है। ये बातें रिश्तों में बिलकुल फिट बैठता है।
3. अस्वीकृति का डर हमें पीछे क्यों रखता है?
इन डरों से ना लड़ पाने के पीछे हमारे जीवन के सामाजिक परिस्थितियां बड़ी भूमिका निभाते है।
हम एक ऐसे सामाजिक परिदृश्य में पले-बढ़े हैं, जहाँ सफलता काफी हद तक इस तरह आंका जाता है कि हम कितनी बार जीवन में सफलताएं हासिल किये हैं, और अस्वीकार किए जाने को असफलता के रूप में देखा जाता है।
यही मानसिकता जब मन में एक गहरा बैठ बना लेता है, तब रिजेक्शन द्वारा अमान्य भय पैदा होता है जिसे दूर करना उतना सरल नही होता है।
जब इंसान अपने ही नजरों में खुद को कम आंकने लगे, तभी रिजेक्शन हमें तकलीफ़देह एहसास कराता है, हमारे भावनाएं अधिक संवेदनशील और बेकाबू हो जाते हैं।
हम मानसिक तौर पर आहात महसूस करते है, और अस्वीकृति को ही अपने व्यक्तित्व का प्रतिबिंब समझ लेते है। इसीलिए जीवन में आत्मसम्मान बेहद आवश्यक है। यदि हमने अतीत में अस्वीकृति का अनुभव किया है, तो हमें भविष्य में भी इसका डर बना रहता है।
4. रिजेक्शन के डर को कैसे दूर करें
लोगों द्वारा अनदेखा व्यवहार होने पर डरा और कमजोर महसूस करना बिल्कुल सामान्य है। इस डर पर काबू पाने का सबसे उपयुक्त कदम है कि यह मान लेना कि मुझे भी रिजेक्ट किया जा सकता है।
4a. अपना दृष्टिकोण बदलें
लोगों द्वारा नजरअंदाज किये जाने को व्यक्तिगत विफलता मानने के बजाय इससे सबक लेने के तौर पर अपनाएं। इससे अस्वीकृति के प्रति दृष्टिकोण में धीरे-धीरे ही सही, परन्तु बदलाव जरुर आता है।
हर रिजेक्शन हमें पहले के तुलना में अधिक बेहतर बनने का अवसर देता है। स्मरण रहे कि, अस्वीकृति कई बार सीधे आपसे जुड़ा नही रहता बल्कि दूसरे इंसान या बाहरी कारकों से भी प्रभावित होते है, जिसपर हमारा कोई काबू नही है।
4b. छोटे-छोटे कदम उठाएं
इन सब डरों पर काबू पाने का शुरुवात छोटे- छोटे कामों से करें जिनमें ज्यादा जोखिम न हो। जब आप छोटी-छोटी अस्वीकृतियों से उबरे में सहज लगने लगे तब आपको बड़े-बड़े चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होना चाहिए।
इस तरीके से आप अपने कम्फर्ट जोन से धीरे-धीरे बाहर निकलकर अपने आत्मविश्वास को बढ़ा पायेंगे ।
4c. रिजेक्शन से सीखें
जीवन में नकारात्मक चीजें हमेशा फीडबैक के साथ आते हैं। इसीलिए तो कहा भी गया है कि, जीवन में संघर्ष में या तो जीत होता है या फिर सबक मिलता है, लेकिन कभी हार नही होता।
तो हमारे लिए बेहतर होगा कि हम चिंता, भावनाओं में फंसे रहने के बजाय, परिस्थितियों से सीखकर आगे बढ़ने पर ध्यान देना चाहिए। हार से मिले प्राप्त फीडबैक का सकारात्मक विश्लेषण करें और देखें कि आप कैसे सुधार कर सकते हैं।
स्वयं के कौशल को बेहतर बनाने के लिए हर अवसर का लाभ उठाएं। याद रखें, असफलता अंत नहीं है; यह सीखने और फिर से प्रयास करने का नया अवसर होता है। अस्वीकृति व्यक्तिगत नहीं है; यह जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है।
इसलिए इसे अपनाएं और इसे सफलता की सीढ़ी बनने दें।
5. सफलता में असफलता का महत्व
इंसान अपने लक्ष्यों को पाने के प्रयास में कई बार असफल होते हैं। लेकिन जो इन असफलताओं के बारे में गलत नजरिया बना लेते हैं, वे जीवन में ज्यादा आगे नही बढ़ पाते हैं।
क्योंकि हमारे परवरिश सिर्फ सफलता को ही एकमात्र स्वीकार्य परिणाम माना जाता है। लेकिन क्या होगा अगर मैं आपसे कहूँ कि असफलता आपका सबसे अच्छी शिक्षक भी हो सकता है ?
दरअसल सफल लोगों को, असफल लोगों के बीच बस एक ही अंतर यह है कि सफल लोग अपने गलतियों से सीखने की क्षमता रखते है, और आगे बढ़ते है।
असफलता हमारे गलतियों को प्रतिबिंबित करके चीजो को बेहतर तरीके से सीखने में मदद करता है। यह हमें अगले कदम के लिए सचेत करता है कि, हमें आगे क्या करना चाहिए और क्या नही।
एक बार असफल होने का मतलब यह नहीं है कि सफ़र यंही तक था, बल्कि यह एक नयी शुरुवात है जो गलतियों से सीखने ही मिलता है।
वास्तव में, आज जिन लोगों के सफलता के गुणगान सुनते है, उन्हें भी लक्ष्यों को प्राप्त करने से पहले कई बार रिजेक्शन और असफलता का सामना करना पड़ा है। जे.के. राउलिंग की मशहूर हैरी पॉटर किताब को अंतिम प्रकाशित होने से पहले कई बार खारिज कर दिया गया था।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को उनके स्कूल शिक्षक ने तो इतना कह दिया था कि, यह जीवन में कभी भी कुछ महत्वपूर्ण हासिल नहीं कर पाएंगे। लेकिन वे डटे रहे और अपनी असफलताओं से सीखते रहे।
सफलता में समय और धैर्य लग सकता है, लेकिन जो अपनी असफलताओं को प्रेरक शक्ति बनाएगा, वही जीवन में आगे बढ़ेगा।
6. रिजेक्शन के डर को दूर करने के तरीकें
पहला, सकारात्मक प्रतिज्ञान एक ऐसा उपाय है जो शुरुवात में आपके अस्वीकृति के बारे में विचारों और विश्वासों को सुधारने में काफी सहायता करेगा।
जैसे कि अपने आपसे सकारात्मक कथन दोहराइए, जैसे “मैं अस्वीकृति को संभालने में सक्षम हूं” या “किसी के द्वारा अयोग्य घोषित करने से में अयोग्य नही हो जाता हूँ।”
दुसरा, यह कि गलतियों का सकारात्मक विश्लेषण कीजिए, तभी चीजे समाझ आते हैं।
तीसरा, साँस लेने के व्यायाम से शरीर पर हो रहे उथल-पुथल को कम करने में मदद मिल सकता हैं।
गहरी साँस लेने के व्यायाम, जहाँ चार की गिनती तक में साँस लेने और चार की गिनती तक में साँस छोड़ने के अभ्यास से हृदय के बैचेनी को शांत किया जा सकता हैं, जो आपको अधिक आराम महसूस करने में मदद करेगा।
चौथा और अंतिम, लेकिन ये तकनीकें अगर काम ना आयें, तो संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी के लिए पेशेवर लोगों का मदद लें।
सीबीटी आपको नकारात्मक विचार पैटर्न और व्यवहारों को पहचानने और चुनौती देने में मदद कर सकता है, और अस्वीकृति के अपने डर को दूर करने के लिए उपकरण प्रदान करता है।
याद रखें, अस्वीकृति के डर पर काबू पाने के लिए कोई एक आकार-फिट-सभी समाधान नहीं है। विभिन्न तकनीकों के साथ प्रयोग करें और खोजें कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है।
समय, अभ्यास और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, आप अस्वीकृति के अपने डर पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और आत्मविश्वास से सफलता की ओर बढ़ सकते हैं।
7. पेशेवर जीवन में अस्वीकृति के डर पर काबू पाना
हम सभी को पेशेवर जीवन में कभी न कभी अयोग्य करार किया गया होगा। जैसे कि हम जिस नौकरी के लिए आवेदन करते हैं, उसके हमारा चयन नहीं होता है, समय पर पदोन्नति नही मिलता, या हमारे काम पर गुपचुप आलोचनाएँ होते है।
ये स्थितियाँ वास्तविक भय को ट्रिगर करते हैं, जो हमें हताश और अवसरों से दूर करता हैं। हमारे पेशेवर जीवन में डर हटाने के लिए हमें नजरिया बदलने की जरूरत है।
इस रिजेक्शन को व्यक्तिगत विफलता मानने के बजाय, सीखने के नए अनुभव से जोड़ना चाहिए। हमें अस्वीकृतियां मूल्यवान प्रतिक्रियाएं देते है जिसका उपयोग से हम अपने कौशल और प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं।
इस डरों को दूर करने के लिए हम पहले से अधिक अभ्यास और तैयारी करना होगा। संगठन पर शोध करें, अपना रिज्यूमे और कवर लेटर तैयार करें, और किसी मित्र या संरक्षक के साथ अपने साक्षात्कार कौशल का अभ्यास करें।
ऐसा करके, हम अधिक आत्मविश्वासी महसूस करेंगे। हमारे पेशेवर जीवन में आलोचना और नकारात्मक प्रतिक्रिया से निपटना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
रक्षात्मक होने के बजाय, थोड़ा पीछे हटकर समस्या का निष्पक्ष मूल्यांकन करना आवश्यक है। सही दृष्टिकोण और कौशल से ही, हम अस्वीकृति के डर को दूर करके अपने पेशेवर जीवन में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
8. रिजेक्शन में आत्म-प्रेम का महत्व
हमारा आत्म-प्रेम इंसान को बाहरी मान्यता से परे, हमारे मूल्यों को पहचानने में सहायता करता है। अगर हम खुद से प्यार करने लगे, तो बाहरी दुनिया की अस्वीकृति हमें परिभाषित नहीं कर सकती ।
हमारे आत्म-प्रेम का अभ्यास शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी संभाले रखता है। इससे हम अच्छा महसूस करते हैं और हममें आत्मविश्वास का संचार होता है।
याद रखें, आत्म-प्रेम एक यात्रा है, मंजिल नहीं। इसमें समय और मेहनत लगेगा, लेकिन परिणाम इसके लायक होते हैं। इसलिए, खुद को लाड़-प्यार करें, खुद की देखभाल करें और सबसे महत्वपूर्ण बात, बिना शर्त खुद से प्यार करें।
9. निष्कर्ष
इसका सारांश यही है कि, हमें डर को स्वीकार करके, छोटे-छोटे क़दमों से, रिजेक्शन से सीखकर, अपना आत्मविश्वास को बढ़ाना होगा।
हमें अपने लक्ष्यों के प्रति सच्चे रहकर, अस्वीकृतियों को अपनाकर डर को दूर करके महानता हासिल करना होगा। तो उठो, जागो और दुनिया को दिखाओ कि तुम किस चीज से बने हो!