निरंतर सीखना जरुरी क्यों : व्यक्तिगत जीवन से पेशेवर जीवन तक

इस दुनिया में विज्ञान और तकनीकी के मेल ने, इंटरनेट द्वारा इंसानों के लिए अपार संभावनाओं के द्वार को खोल दिया है। इसीलिए आज के आधुनिक युग पर प्रभाव सबसे अधिक तकनीकी और विज्ञान का ही बोलबाला है।

चाहे वह हमारा जीवनशैली ही क्यों ना हो..! यंहा हर वक़्त कुछ ना कुछ नयी आविष्कार, खोज हो रहे है, जिसके कारण कई चीजें पुराने भी होते जा रहे हैं।

उदहारण के लिए आज से मात्र पांच साल पहले बने स्मार्टफोन की तकनीक, वर्त्तमान समय के स्मार्टफोन से काफी पिछड़े हुए है। आज क्या कोई एंड्राइड 4 वर्शन के स्मार्टफोन खरीदना पसंद करेगा, जब मार्किट में एंड्राइड 13 आ चुका हो। जी नही, बिलकुल भी नही।

हम इंसानों पर भी यही बातें शत प्रतिशत लागू होते हैं। आज के बदलते दुनिया में जब इंसानों की क्षमताए या कौशल में कमी होने लगता है, तो स्वतः ही उसके कार्य कुशलता में बाकी लोगों के तुलना में कम प्रभावी होते हैं।

इस कम्पटीशन के दुनिया में अपना वजूद, मूल्य बनाये रखने का एक ही तरीका है, जब तक आपमें सामर्थ्य है, हमेशा खुद में नए ज्ञान एवं अनुभवों को सीखकर अपडेट करते रहना होगा।

1. परिचय

आज की बदलती दुनिया में, जो लोग नई क्षमताओं और संभावनाओं को सीखना पसंद नही करते, उन्हें उभरते दुनिया के नए चुनौतियों से सामना करने में ढेर सारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में उन लोगों को नई स्थितियों के साथ तालमेल बिठाने में थोड़ी परेशानी होती है, क्योंकि वे अपने पुराने तरीकों का ही उपयोग करते है, नतीजन वे पिछड़े रह जाते हैं।

आज हम जानेंगे कि, क्यों हमारे लिए सीखते रहना आवश्यक है, इसके अलावा सीखने के दौरान हमें किन मुश्किलों का भी सामना भी करना पड़ सकता है, जिनसे हम निपटने के लिए व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत किए हैं।

2. सीखना क्यों जरुरी है ?

देखा जाय तो अगर कोई अपने क्षमता बढ़ाना चाहता है, तो उसे निश्चय ही निरंतर सीखना जरुरी है। क्योंकि जिसने भी अपने कौशल का विकास में अपनेआप को झोंक दिया है, वही व्यक्ति प्रतिस्पर्धा के दौर में हमेशा अपना वर्चस्व और वजूद बनाये रखने में संभव हुआ है।

ऐसा होने लगा है कि जो व्यक्ति प्रौद्योगिकी, उद्योगों और नौकरी के बाजार की बदलती प्रकृति के साथ नई चीजें सीखना जारी नहीं रखते, वे अंततः पिछड़ जाते हैं। ये पिछड़ापन व्यक्तिगत विकास में, कैरियर की संभावनाओं में, और समग्र सफलता को बाधित करते हैं।

3. निरंतर सीखने के लाभ

प्रत्येक व्यक्ति को निजी एवं पेशेवर क्षेत्रों में अपने कौशल को विस्तार देना चाहते हैं, तो सीखने को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा। किसी भी इंसान के लिए सीखने की कोई उम्र सीमा निर्धारित बिलकुल भी नही है।

जब तक उसमें इच्छाशक्ति और सामर्थ्य है, वह सीखना जारी रख सकता है। इन नए कौशल सीखने से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने के लिए आप यहां दिए गये कुछ कदम उठा सकते हैं:

3a. संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार

जब कोई व्यक्ति नयी चीजों को सीखने के प्रति जुझारू होता है, तो निःसंदेह उसके सोचने-समझने के संज्ञानात्मक क्षमताओं में भी सकारात्मक सुधार होता है। नए ज्ञान के अनुभव से हमारे मानसिक और बौधिक क्षमताओं में नए संस्करण पैदा होते हैं।

3b. व्यक्तिगत विकास

आप जितना अधिक अपने कौशल को बढ़ाने में ध्यान केन्द्रित करोगे, उतना ही अधिक आप स्वयं के बेहतर संस्करण बनते जायेंगे। आपके लगातार सीखते रहने की आदत से आतंरिक व्यक्तित्व भी निखरता है। आप पहले से अधिक आत्मविश्वासी, स्थिरता और आशावादी तरीके से कार्यों का पूरा करने में सक्षम होंगे।

3c. प्रदर्शन में सुधार

आपके पेशेवर जीवन में भी निरंतर सीखते रहने का असर होने लगता है। जब आप किसी कार्य में पहले से तुलनात्मक रूप से अधिक पारंगत हो जायेंगे, तो आपका उत्पादकता और कार्य कुशलता, दोनों में वृद्धि होगा।

आप अपने व्यावसायिक जीवन के चुनौतियों से निपटने में पहले की तुलना में अधिक सामर्थ्यवान हो जायेंगे।

4. सीखने के तरीके

वैसे सीखने के प्रकार, विभिन्न परिप्रेक्ष्य में विभिन्न प्रकार के होते हैं, परन्तु सामान्यत सीखने के तौर-तरीकों को मुख्यतः तीन प्रकार से ही विभाजित किये गये हैं। जो हैं : औपचारिक, अनौपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा। आइए इन बिन्दुओं को समझते हैं।

4a. औपचारिक शिक्षा

औपचारिक शिक्षा स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों जैसे औपचारिक संस्थानों में दी जाने वाली संरचित और व्यवस्थित शिक्षा है।

यह अक्सर शिक्षित शिक्षकों या प्रशिक्षकों द्वारा प्रदान किया जाता है, और शैक्षिक अधिकारियों द्वारा स्थापित एक निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करता है।

मानकीकृत शिक्षण आमतौर पर हाई स्कूल डिप्लोमा, कॉलेज स्नातक डिग्री और स्नातक डिप्लोमा जैसे सत्यापन योग्य क्रेडेंशियल्स में समाप्त होता है।

4b. अनौपचारिक शिक्षा

“अनौपचारिक शिक्षा” शब्द का प्रयोग कक्षा के बाहर होने वाली शिक्षा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह कई अलग-अलग संदर्भों में होता है, जिसमें घर, पड़ोस, कार्यस्थल और आमने-सामने आदान-प्रदान शामिल हैं।

यह अनौपचारिक शिक्षा अक्सर लोगों की जिज्ञासा, शौक और वास्तविक दुनिया के अनुभवों से प्रेरित होती है।

4c. गैर-औपचारिक शिक्षा

सीखने के अनुभव जो नियोजित और जानबूझकर दोनों हैं लेकिन आधिकारिक शिक्षा प्रणाली के बाहर हैं, उन्हें अनौपचारिक शिक्षा के रूप में संदर्भित किया जाता है।

यह उन लोगों के लिए बनाया गया है जिन्हें कॉलेज जाने का मौका नहीं मिला है या जो पारंपरिक कक्षाओं की पेशकश नहीं कर सकने वाले तरीकों से अपने क्षितिज का विस्तार करना चाहते हैं।

पारंपरिक स्कूली शिक्षा के विपरीत, जो कठोर है और छात्र के बजाय शिक्षक पर केंद्रित है, गैर-औपचारिक शिक्षा अनुकूलनीय और छात्र-केंद्रित है।

5. ई-लर्निंग बनाम पारंपरिक कक्षाएँ

ऑनलाइन शिक्षा के तौर-तरीके पारंपरिक कक्षा के तौर-तरीकों से काफी भिन्न है। इस दोनों के अपने-अपने लाभ और कमियां हैं। आपको अपने जरूरतों के अनुसार इन दोनों तरीकों में तुलना करके सीखने की यात्रा शुरू करना होगा।

सबसे पहले ई-लर्निंग और पारंपरिक कक्षाओं से तुलनात्मक फायदे को समझें।

5a. ई-लर्निंग

  • जब बात आता है कि आप कहां और कब पढ़ाई करने में अधिक सहूलियत महसूस करते हैं, तो ई-लर्निंग आपको अधिक स्वतंत्रता देती है।
  • ई-लर्निंग द्वारा सभी पाठ्यक्रम दिन या रात किसी भी समय ऑनलाइन उपलब्ध हैं, और सुविधानुसार उपयोग में लाया जा सकता है।
  • पारंपरिक कक्षाओं की तुलना में, ई-लर्निंग वातावरण छात्रों को अधिक संख्या में पाठ्यचर्या विकल्पों तक सहूलियत उपलब्ध कराता है।
  • ऑनलाइन कक्षाओं में तुलनात्मक रूप से कई लाभ हैं, जिसमें कम शिक्षण दर, अधिक अनुकूलनीय कार्यक्रम, प्रासंगिक सामग्रियों का व्यापक चयन और विभिन्न तरीकों से अध्ययन करने का अवसर (ऑडियो, वीडियो और गेम-आधारित गतिविधियों सहित) शामिल हैं।

भले ही ई-लर्निंग के बहुत सारे लाभ हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं, जैसे शिक्षक से व्यक्तिगत रूप से निरंतर बातें न कर पाना, प्रतिक्रिया प्राप्त करने में परेशानी होना और अन्य वेबसाइटों की ओर मन का बहुत अधिक भटकाना आदि।

5b. पारंपरिक कक्षाएँ

  • दूसरी ओर, यदि आप नियमित कक्षा में सीखना चाहते हो, तो आपको निर्धारित समय और स्थान पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
  • वंही नियमित कक्षाएं आपको अपने शिक्षकों और साथी छात्रों से मिलने और बात करने का मौका देती हैं।
  • पारंपरिक कक्षाओं में अधिक सामाजिक संपर्क, नेटवर्किंग के अवसर और सापेक्ष प्रतिक्रिया प्रदान करती हैं।

हालाँकि नियमित कक्षाओं में भी कई तरह की सीमाएँ होती हैं, जैसे कि उपस्थिति की माँग, बड़ी संभावित लागत और उपलब्ध संसाधनों की कमी आदि होते है।

संक्षेप में, ऑनलाइन और पारंपरिक कक्षा, दोनों के लाभ और कमियां हैं। आपको सीखने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इस बारे में जरुर सोचना चाहिए कि आप किस तरीके से सीखना चाहते हो।

6. प्रभावी सीखने के लिए व्यावहारिक सुझाव

सीखने के लिए प्रयासरत होना अच्छी बात है, परंतु कुशलता से सीखना हमारे लिए अधिक फायदेमंद है। कोई भी व्यक्ति कम समय में अधिक प्रभावशाली तरीके से सीखना चाहते हो तो, उसके लिए ठोस रणनीति और उचित दृष्टीकोण बेहद ही जरुरी है।

यंहा पर आपके लिए कुछ आवश्यक दिशानिर्देश दिए गए हैं जो आपको तेजी से और अधिक प्रभावी ढंग से सीखने में मदद कर सकते हैं।

6a. आवश्यक दिशानिर्देश

  • सबसे पहले, जब आप अपने अध्ययन प्रक्रिया को दोबारा शुरू करना चाहोगे, तब आपके मन में लक्षित एवं विशिष्ट उद्देश्य होना चाहिए। आखिर आप कुछ नया सीखकर क्या हासिल करने की इरादा है ? और जब आपका विशिष्ट उद्देश्य आपके ध्यान में रहेगा, तब आप उस दिशा में काम करने के दौरान प्रेरित भी रहेंगे और केन्द्रित भी रहेंगे।
  • दूसरा, जो भी आपने योजना बनाये होंगे, उस योजना को हासिल करने के लिए उस दिनचर्या का सख्ती से पालन करना भी आवश्यक है। अपने सुविधानुसार ,आप जो भी अध्ययन करें, उसका अभ्यास करने का एक निश्चित रूटीन बनाएं। यदि आप एक ऐसा योजना बनाने में सफल हुए है जो आपको निरंतर अध्ययन पर टिके रहने में मदद करें, तो निश्चिय ही आपको सफलता मिलना तय हैं।
  • तीसरा, पढ़ाई के लिए शांतिपूर्ण स्थान चुनियें। ऐसी जगह चुनिए जंहा आपको पढ़ाई करते वक़्त आसपास के माहौल से परेशानी ना हों, और ध्यान बिलकुल पढ़ने पर ही केन्द्रित रहें। अगर आपको कंही बाहर में पढ़ाई करना है, तो चुपचाप काम करने के लिए लाइब्रेरी या कॉफी शॉप को चुनें।
  • चौथा, जो भी सीखें, उन सबको शोर्ट नोट्स के रूप में तैयार जरुर करें। ऐसा करने पर प्रासंगिक जानकारियों को छोटे स्तर पर अधिक प्रभावी ढंग से व्यवस्थित रहेंगे जो मुश्किल समय पर याद करने में आसानी होगा।

यह हमेशा ध्यान रखें कि, आपको तत्काल परिणाम नही प्राप्त होंगे, तो निराश होने की आवश्यकता नही है। आपको धैर्य बनाए रखना होगा, परिणाम निश्चय ही प्राप्त होगा।

मुझे विश्वास है कि यदि आप इन सुझावों को व्यवहार में लाते हैं, तो आपमें ना सिर्फ कार्य कुशलता में वृद्धि होगा, बल्कि आपमें व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास पहले के तुलना में अधिक हो जाएगा। तो आगे बढ़ें और अपने ज्ञान का विस्तार करें!

7. सतत सीखने के लिए चुनौतियां

चलिए अब कुछ व्यावहारिक तथ्यों को भी समझ लें। सीखने की राह हमेशा आसान नही है। इनमें भी कुछ चुनौतियां है, जिनपर हम अभी चर्चा करेंगे।

7a. निराशा

किसी भी चीज को शुरू करना सबके लिए आसान होता है, लेकिन उस कार्य के प्रति निष्ठा और निरंतरता को बनाए रखना सबके बस के बाहर है।

जब चीजें कठिन होने लगते हैं, तब हमारा इच्छाशक्ति भी धीरे-धीरे खोने लगता है। लेकिन हमें इन सबसे हारना नही है! अध्ययन के लिए अपनी मूल प्रेरणा अपने अन्दर बरक़रार रखना होगा और जो प्रगति को प्रोत्साहित करना है।

7b. संसाधनों की कमी

धन के अभाव में संसाधनों का व्यवस्था बिलकुल भी संभव नही है। इसलिए धन की कमी आपके सीखने के प्रगति में कांटा बन सकता है।

लेकिन डरिये मत, मेरे प्यारे दोस्त! वेबसाइटें, यूट्यूब वीडियो और वेबिनार ऐसे कई संसाधन इंटरनेट में मुफ्त उपलब्ध हैं जो आपके संसाधनों के कमी को पूरा करेगा।

7c. समय की कमी

बढ़ते उम्र के साथ-साथ हर इंसान के जीवन में काम, परिवार और अन्य जिम्मेदारियों को भी साथ-साथ लेकर चलना पड़ता है।

लेकिन वक़्त प्रबंधन तो सबको सीखना पड़ेगा ही..! तो ईमानदार रहें, अपने समय प्रबंधन करना सीखे और जितना संभव हो इसका नियमित पालन करें।

7d. सहयोग का अभाव

दुर्भाग्य से, जब कोई व्यक्ति नए चीजों को सीखने का कोशिश करता है, तो उसे कई बार समाज से, अपनों से विरोध जरुर सहना पड़ता है।

याद रखें कि आप यह अपने भलाई के लिए कर रहे हैं। भले ही जीत ना मिले, लेकिन जीवन का एक सबक तो जरुर मिलेगा। इसलिए हमेशा अपने-आप को खुश रखिए और हार मत मानिए।

मेरा यकीन कीजिए, आप अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं यदि आप उस पर डटे रहें।

8. सीखने का भविष्य

जैसे-जैसे तकनीक क्षेत्र में तेजी से सुधार होता है, सीखने का तरीके भी बदलते जा रहे है। आज सभी के लिए सीखने का अधिक संभावनाएं मौजूद हैं।

उदहारण के लिए ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों ने शिक्षण प्रक्रिया को सबके लिए सुलभ, अनुकूलनीय और सुविधाजनक तैयार कर दिया।

डिजिटल मीडिया के कारण ही, आज के छात्रों के पास अनुदेशात्मक वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग और पाठ्य सामग्री तक आसान पहुंच है।इसके अतिरिक्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने शिक्षा-क्षेत्र में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के मध्य पठन-पाठन को बेहतर बनाने में सहायता किया है।

इससे शिक्षक पाठ-योजनाओं का निर्माण करने में अधिक सक्षम हुए हैं और छात्रों के लिए अधिक व्यक्तिगत और आकर्षक शैक्षिक अनुभव को तैयार किया है।

कक्षाओं में पढ़ाई को खेलों के साथ जोड़कर पेश करके, छात्रों को नए और आकर्षक तरीकों से अध्ययन करने और जानकारी से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। ये सभी हालिया प्रगति, सीखने क्र असीम संभावनाओं में से एक है।

जो व्यक्ति जितनी जल्दी इन उपकरणों का उपयोग करना शुरू करेंगे, उनके सीखने के कौशल उतनी ही अधिक दिलचस्प और उत्पादक होगा।

9. निष्कर्ष

इस लेख का अंतिम सार यही है कि हर इंसान को अपने निजी और पेशेवर जीवन दोनों में सफलता प्राप्त करने के लिए आजीवन सीखने की प्रतिबद्धता होना चाहिए ।

जब हम सीखना शुरू करते हैं, तो इस राह में चुनौतियां भी कम नही होंगे, लेकिन उन बाधाओं को दूर करके ही हम नए कुशलता को सीख पायेंगे। तभी हम समाज के बदलते परिपेक्ष्य में अपना अस्तित्व को बरकरार बनाए रखने में कुशल होंगे।

आजीवन सीखते रहने से हमें बेहतर निर्णय, काम पर अधिक उत्पादकता और अधिक लचीलापन विकसित कर पाने में सक्षम हो जाते है।

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