बांध | से लाभ और हानि, निष्कर्ष

पृथिवी पर जीवन संभव होने में, जल महत्वपूर्ण कारक है। जल के बिना पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं, सूक्ष्मजीवों से लेकर मनुष्यों तक में जीवन असंभव है।

इसीलिए अधिकतर प्राचीन सभ्यताओं का विकास किसी ना किसी नदी किनारे ही विकसित हुआ। चाहे मेसोपोटामिया सभ्यता, सिन्धु घाटी सभ्यता, मिस्र की सभ्यता या फिर चीनी सभ्यता को देखें।

यही कारण अन्य ग्रहों पर जीवन संभावना तलाशते वक़्त अंतरीक्ष वैज्ञानिक सर्वप्रथम जल के साक्ष्य खोजते है। इसलिए मानवों के विकास में नदियाँ काफ़ी महत्वपूर्ण है। बात चाहे अतीत की हो या भविष्य की। आज भी नदी किनारे बसे शहर बाकी शहरों से तुलनात्मक रूप से अधिक समृद्धशाली और सुविधाजनक पाए गये।

1. बांध किसे कहते हैं : परिभाषा

जल की आवश्यकता पूर्ति के लिए नदियों पर विशालकाय अवरोध बनाकर जल संचयन किया जाता है. इन्हीं बड़े जल संग्रहित क्षेत्रों को बांध कहते है। जब नदियों का जलस्तर घटने लगता है, तब नदियों पर जनसँख्या दवाब बढ़ता है।

सालो-साल निरंतर जल आपूर्ति बने रहे, इसलिए बांधों का निर्माण किया गया।शुरुवाती समय में बांध के उद्देश्य नौकायन, सिचाई, नहानेधोने, पीने तक ही थे।

बाद में तकनीकी आधुनिकीकरण द्वारा मछलीपालन, पनबिजली, पर्यटन आदि बहुउद्देशीय उपयोग संभव हुआ। जंहा बांध से लाभ कई सारे होंगे, वंही कई नुकसान भी होंगे। आज के आर्टिकल में बांध से लाभ एवं उत्पन्न समस्याओं को विस्तार देंगे

बांध-से-लाभ-एवं-समस्याओं-का-वर्णन-कीजिए

2. बांध से लाभ

2a. सिंचाई व्यवस्था

नदियों पर बाँध बनाकर नहरों द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी पंहुचाया जाता है। जिससे किसानों को खेती के लिए पर्याप्त जल मिल जाए. ताकि गर्मी या जल संकट परिस्थिति में फसलें बर्बाद ना हो। बांधो के पानी को नहरों द्वारा, कई मीलों दूर तक पानी उपलब्ध कराया जाता है।

2b. मछली पालन

बांध के लाभ कई सारे हैं। इससे नदी किनारे बसे लोगों को मछली पालन रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। रेहू, कतला और झींगा जैसे मछली पालन से आसपास के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगा।

2c. विद्युत जल परियोजना

बड़े नदियों पर बाँध बनाने का मुख्य उद्देश्य विद्युत उत्पादन है। इस विद्युत उत्पादन प्रक्रिया में जल के तेज वेग को विद्युत उर्जा में, टरबाइन द्वारा रूपांतरित किया जाता है। यह उर्जा उत्पादन प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है। इससे हानिकारक पदार्थ उत्सर्जित नही होते हैं।

2d. महानगरों में जल आपूर्ति

महानगरों में जनसंख्या दवाब के जरुरत को पारंपरिक जल स्रोतों द्वारा मांगपूर्ति करना संभव नही। बांधों द्वारा ही औद्योगिक कारखानों और मानवीय जलापूर्ति संभव है। क्योंकि बाँधों में जलसंचयन ज्यादा किया जा सकता है।

2e. पर्यटन उद्योग

बाँध कई पर्यटन उद्योगों को भी बढ़ावा देता है। वाटर पार्क, नौकायन, जेट स्कींग, सर्फिंग, मछली पकड़ना, जैसे कई मनोरंजक चीजें पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

2f. मृदा अपरदन में कमी

तेज बहाव से नदियों किनारे मृदा कटाव निरंतर होता है। जिस कारण नदियाँ लगातार चौड़ी और गहरी होती जाती है। परन्तु नदियों पर बांध बनने से तेज बहाव कम हो जायेंगे।

3. बांध से होने वाली समस्याएं

3a. प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट

बांध बनने से नदियों के प्राकृतिक प्रवाह प्रवाहित होता है। जिससे जलीय जीवों के प्रवास और प्रजनन नियम बाधित होता है। नदीतल पर परत दर परत गाद जमाव होता है। बांधो के कारण निरंतर नदी ताल पर धीरे धीरे गाद जमते है, जिससे नदी तल ऊँचा होने लगता है। जलीय पौधे और जीवों के आवाजाही में बाधा बनता है।

3b. वन क्षेत्र में ह्रास

वनों का महत्व सभी के लिए समान है। परन्तु ग्रामीण निवासी अपने जीवनयापन के लिए पूरी तरह वनों पर आश्रित है। यह वायुमंडलीय तापमान नियंत्रित करता है.दूषित वायु को स्वच्छ बनाते है।

ऐसे में वन क्षेत्रों से गुजरने वाली नदियों पर बाँध निर्माण से पूरा इलाका जंगलविहीन हो जाता है। जंगली जानवरों का आश्रय, जलावन लकड़ियाँ, फल-फूल, पशुचारा आदि ख़त्म हो जाते हैं।

3c. बाढ़ का खतरा

मानसूनी ऋतुओं पर निरंतर वर्षा, बांध में जलस्तर बढ़ाता है। कई बार ऐसी परिस्थितियां अचानक बादल फटने पर भी उत्पन्न होते हैं. इससे क्षमता से अधिक जल संग्रहण, बांध का फाटक पर दवाब बढ़ाता है।

इसलिए समय पर उन फाटकों को नही खोलने पर बाँध टूटने जैसे परिस्थितियां बनते हैं। वही बांधों से अधिक मात्रा में जल निकासी, निचले क्षेत्रों पर बाढ़ लाता है। शहर, खेत, खलिहान आदि सब जलमग्न हो जाते है. वही दुसरे ओर भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाएं भी बांधों के लिए गंभीर चुनौतियाँ है।

3d. अंतरराज्यीय जल विवाद

एक नदी अपने उद्गम स्थल से लेकर समन्दर में विलय तक के दौरान कई राज्यों, देशों से होकर गुजरती है। जैसे की गंगा नदी, नर्मदा नदी, ब्रह्मपुत्र नदी अन्तर्राजीय या अंतर्देशीय नदियों के कुछ उदहारण है।

नदियाँ गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उद्गम स्थल से हमेशा नीचे की ओर बहती है। जब उपरी भूभागों के लोगों द्वारा अधिक पानी का खपत हो, जिससे निचले क्षेत्र के लोगों को जल की किल्लत होने लगता है। तब अंतरराज्यीय जल बंटवारें को लेकर मतभेद बनते है।

3e. विस्थापन की समस्या

जिस नदियों किनारे घनी आबादी बसता है, वहां बांध निर्माण कराने पर, स्थानीय लोगों को विस्थापित कराया जाता है।विस्थापित गाँवों को नए जगह पर बसाया जाता है। इससे खेतिहर लोगों के खेत-खलिहान छीन जाते हैं।

विस्थापन से नौकरी-पेशा लोगों को ज्यादा परेशानी नही होता। वही खेतीबारी, पशुपालन, दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार के कम अवसर मिलते हैं। नए परिवेश में कई नए सामजिक-आर्थिक चुनौतियां होंगे।

4. सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक स्थलों पर बांधों के प्रभाव क्या हैं?

ऐतिहासिक धरोहर एवं सांस्कृतिक विरासत से निवासियों की जनभावनाएं जुड़ी होते हैं। यह जनभावनाएं ही सभी लोगों में एक सूत्र में पिरोये रखता है। इसलिए इनका संरक्षण बहुत आवश्यक है।

इसके अलावा इन धरोहरों को संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने से स्थानीय लोगों को बिना विस्थापन किए आर्थिक तौर पर सबल बनाने की संभावना बढ़ता है।

लेकिन हमें यह नही भूलना चाहिए कि, इन बांधों के निर्माण के समय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नुकसानों का अवलोकन भी जरुरी है। क्योंकि ऐसा देखा गया है कि, बिना हर पहलु को जांचे बिना बांधों के निर्माण कार्यों ने कई पुरात्वात्विक स्थल या तो नष्ट हुए या फिर उनमें जलभर कर बर्बाद हुयें है।

उदाहरण के लिए, मिस्र में अबू सिंबल का प्राचीन शहर असवान हाई डैम द्वारा जलमग्न हो गया था, जिससे कई मंदिरों और स्मारकों को स्थानांतरित करना आवश्यक हो गया था।

इसी तरह, चीन में थ्री गोरजेस क्षेत्र, जिसमें अनगिनत महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों और सांस्कृतिक कलाकृतियों को रखा गया था, थ्री गोरजेस डैम के निर्माण के परिणामस्वरूप बाढ़ आ गई थी।

पर इसका मतलब यह नही की बांधों के निर्माण से हमेशा क्षति के उद्देश्य से निर्माण होता है। बल्कि हमें सभी मानकों को ध्यान में रखकर इन डैम निर्माणकार्य को करना चाहिए।

5. बांधों से बिजली कैसे पैदा होती है?

आज भी कई लोग इस बात से अनभिज्ञ है कि, आखिर इतने बड़े-बड़े बांधों का निर्माण आखिर सरकारें क्यों करते हैं ? जब हमारे आसपास के छोटे बराजों को देखते है।

तो हमें नजर आता है कि, इनका निर्माण सिंचाई कार्य, मछली-पालन, पर्यटन, तथा शहरों में जलापूर्ति तक ही होगा। लेकिन क्या विशालकाय बांधों का निर्माण भी इन्हीं कार्यों तक सिमित होता है ?

जैसे कि भागरथी नदी पर निर्मित टिहरी बांध, महानदी पर निर्मित हीराकुंड बांध बनाने का मुख्य उद्देश्य विद्युत् उत्पादन भी है। चूँकि यंहा बिजली उत्पादन में पानी मुख्य कारक है, इसलिए इस बिजली उत्पादन प्रक्रिया को पनबिजली भी कहा जाता हैं।

तो आखिर पानी से बिजली का उत्पादन होता कैसे है, चलिए इसी तथ्य को आसान भाषा में समझते हैं।आपने कई साइकिलों में देखा होगा, कि बल्ब जलाने के लिए बैटरी के बजाय मोटरों का इस्तेमाल होता है।

यह बल्ब तार से मोटर तक जुड़ा रहता है। जब साइकिल का पहिया घूमता है तो मोटर भी साथ में घुमता है। यही मोटर विद्युत ऊर्जा पैदा करके बल्ब को जलाता है। ठीक इसी प्रणाली पर पनबिजली भी कार्य करता है।

सबसे पहले ऊँचे और बड़े बांध बनाकर अधिक मात्रा में जल संग्रह किया जाता है। इसी जल के विशाल भण्डार को मोटे पाइपों द्वारा विशालकाय मोटरों के प्रोपेलरों पर गिराया जाता है। पानी के तेज़ बहाव और दवाब से मोटर का शाफ़्ट तेज़ी से घुमते है और विद्युत उत्पन्न होता है।

इस उत्पादित विद्युतीय ऊर्जा को पहले पॉवर हाउसों में भेजा जाता है। पॉवर हाउसों के बाद विद्युत् को घरों में आपूर्ति किया जाता है। इसी प्रकार विशाल बांधों से बिजली उत्पादन किया जाता है।

ख़ास बात है कि, पनबिजली से निर्मित विद्युत ऊर्जा पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल है, जो किसी भी प्रकार के ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नही करते हैं।

6. निष्कर्ष

बांध से लाभ और हानि बहुत सारे है. सतर्कता के अभाव में कुछ दुर्घटनाएं भी होने की संभावनाएं बने रहेगा। हमें सुनिश्चित भी करना होगा कि बांधो के निर्माण पर कोई बहुत बड़ी आबादी विस्थापित या जैव विविधता नष्ट ना हों

विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास सुविधा हो। संभावित दुर्घटनाओं को विश्लेषण करके हर संभव क्षति कम करने का प्रयास किया जाए।

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