भाई को पत्र | विभिन्न विषय पर पत्र प्रारूप

भाई के साथ रिश्ता अटूट प्रेम का होता है। हंसी-खुशी, नाराजगी और तमाम जिंदगी के हिस्सों में भाई की मौजूदगी काफी महत्वपूर्ण है। भाई को सही राह दिखाने का कर्तव्य माता पिता से कंही ज्यादा उसके बड़े भैया या दीदी का होता है।

क्योंकि बच्चे अपनी बातें और भावनाओं को हमउम्र के साथ अभिव्यक्त करने में ज्यादा हिचकिचाते नही है। साथ ही माता-पिता से ज्यादा अपने बड़े भैया या दीदी के बात को ज्यादा मानते और विश्वास करते है।

आज के लेख में भाई को पत्र लिखकर अपने रिश्तों के सुझाव, मार्गदर्शन, और खुशियों को साझा करने के तरीके बताया हूँ। कैसे एवं किस प्रकार से पत्रों को तरीकों से लिखा जाए।

1. वार्षिक परीक्षा की तैयारी हेतु भाई को पत्र

वार्षिक परीक्षा का समय अति महत्व और चुनौतीपूर्ण होता है। इस समय छात्रों का हौसला लगातार बने रहना अति आवश्यक है। आप बहन या बड़े भाई हो तो अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर परीक्षा से सम्बंधित सुझाव, रणनीति समझा कर उनका मनोबल बढ़ाएं। ऐसे प्रश्न पत्र लेखन परीक्षा में पूछे जाते है।

प्रिय अनुज
प्रशांत,

वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने में सिर्फ चार महीने ही शेष है। और मुझे पूरा उम्मीद है कि, तुमने परीक्षाओं की तैयारीयां शुरू किये होंगे और होना भी चाहिए। जिस तनाव और परेशानियों के दौर से मैं कभी गुजरा था, वही समय आज तुम्हारा है। तुम्हारे काबिलियत पर पूरा भरोसा है, परन्तु तुम्हें वार्षिक परीक्षा तैयारी से सम्बंधित कुछ सुझाव देना चाहूँगा, जो अक्सर छात्र ध्यान नही देते।

  • पहली कि, कठिन विषय पहले पढ़ लेना, ताकि परीक्षा नजदीक होने पर सिलेबस का दवाब ना बनें।
  • दूसरा, लगातार लंबे समय तक पढ़ने से अच्छा ब्रेक लेते हुए पढ़ाई करना। ज्यादा तनाव महसूस होने पर टहलने निकल जाना। पढ़ाई पर ज्यादा दवाब नही लेना चाहिए।
  • तीसरा, तुम थोड़ा बहुत खेलकूद पर भी ध्यान देना, जो शरीर और मन को मजबूत बनाता है।
  • चौथा, भोजन, स्नान, और शौच का समय एकदम निर्धारित रखना होगा। ज्यादा ठूंस ठूंस कर भोजन करने से आलसीपन लगेगा। इसलिए तुम अल्पाहार भोजन करना। अगर ज्यादा दुविधा लगे तो तुम डॉक्टर की सलाह जरुर लेना।
  • पांचवा, स्मार्टफोन से जितना हो सके, दुरी बनाये रखना। रिविजन और राइटिंग प्रैक्टिस बिलकुल भी मत छोड़ना ।
  • और अंतिम सलाह कि ज्यादा दवाब मत लेना, मन भारी लगे तो करीबियों से बातचीत करना।

तनाव जितना कम होगा, वार्षिक परीक्षा में प्रदर्शन उतना ही बेहतर होगा। और भी कोई समस्याएँ हो तो निःसंकोच मुझसे साझा करना। मैं तुम्हारा हरसंभव मदद करूंगा।

तुम्हारा शुभचिंतक
ऋतिक

2. अनुशासन का महत्व बताते हुए भाई को पत्र

वही देश ज्यादा सफल है, जंहा के निवासी अनुशासित रहते हैं। अनुशासित व्यक्ति सभी उपलब्धियों को हासिल करने की साहस रखता है। इनका उद्देश्य पूरा स्पष्ट होता है। ये लोग लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते है। अपने भाई को दिशाहीन होने से रोकना चाहते है, तो अनुशासन का महत्व बताते हुए पत्र लिखिए। इससे दिशाहीन व्यक्ति को सही मार्ग मिलता है।

प्रिय कौशल,
उच्च शिक्षा के प्रति तुम्हारे जज्बा और जूनून देखकर पूरा परिवार गौरवांवित है। हो भी क्यों न, आखिर बी टेक पढ़ाई के लिए शहर के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज में नामांकन हुआ है। तुमने पूरे गाँव का नाम रोशन किया। सभी के उम्मीदें तुमसे जुड़े है। मैं यह नही कहूँगा कि, हर किसी के उम्मीदों पर खरा उतरो। परन्तु अपना लक्ष्य को हासिल करके ही मानना। अपने लक्ष्य को पाना है, तो अनुशासित जीवन अपनाना होगा।

दुनिया के सक्सेसफुल लोगों का मूलमंत्र अनुशासन ही है। अनुशासन व्यक्ति के आत्म-नियंत्रण, ध्यान और संकल्पशील बनता है। यह व्यक्ति को लक्ष्य से भटकाव को रोकता है। जैसे कि, टोर्चलाइट में अवतल दर्पण प्रकाश किरणों को एक निश्चित दिशा की ओर मोड़ता है, जिससे रौशनी अधिक दुरी तक जाता है। उसी तरह अनुशासन व्यक्ति के उर्जा और मन को दिशा देता है। उम्मीद करता हूँ कि, तुम्हें अबतक अनुशासन का महत्व समझ आ गया होगा। माता-पिता का ढेर सारा आशीर्वाद।
तुम्हरा बड़ा भाई
खगेन

3. समय का महत्व बताते हुए छोटे भाई को पत्र

दुनिया में समय ही है, जिसे किसी ने काबू नही कर सका। वक़्त का सदुपयोग करने वाले सभी लोगों का जिंदगी सवंरा है। वही लोग आगे बढ़ते गए। और जिसने भी समय को चुनौती दिया, सभी दिशाहीन हुए।

तो अगर समय का महत्व बताते हुए छोटे भाई को पत्र लिखना चाहते हैं, तो इस प्रकार लिखें। अपने छोटे भाई को मार्गदर्शन करें, जिससे आपका छोटा भाई जिंदगी में बुलंदियों को छुए।

प्रिय अनुज,
समय से मूल्यवान चीज़ कोई भी नही है। दुनिया के सबसे सक्सेसफुल लोगों का एक ही मूल रहा है, सही समय पर सही फैसला लेना। तुम्हारा नौवीं की अंक पत्र देखा। इस बार तुम्हारा रिजल्ट, तुम्हारे काबिलियत के अनुरूप नही आया है। कारण तुम्हारे जिद्दीपन से नया स्मार्टफोन मिल गया, और मेरे हजार कोशिशों के वाबजूद तुमने विडियो गेम, और सोशल मीडिया से खुद को दूर नही किए। नतीजन अबतक का सबसे ख़राब प्रदर्शन…। इंसान के जिंदगी का सबसे कीमती वक़्त स्टूडेंट लाइफ होता है।

आज तुम्हारे पास काफी वक़्त है खुद के क्षमताओं को विस्तार देने का।।। अभी स्वंय को नही सुधारोगे तो जब धीरे-धीरे जिम्मेदारियों का बोझ आयेगा। तो खुद को वक़्त ही दे नही पाओगे। समय के महत्व को समझो। हर घंटा, हर मिनट, हर पल बीतता जा रहा है। समय को तो भगवान भी नियंत्रित नही कर सकते। फिर हम तो मनुष्य है। गेम्स और सोशल मीडिया बाद में चला लेना, बाद में भी हो सकता है। लेकिन एक बार पढ़ाई का समय पार हो जायेगा तो दोबारा हासिल नही होगा। मैं तुमसे बेहतर भविष्य निर्माण का उम्मीद करता हूँ। तुम्हारे प्रतिउत्तर का इंतज़ार रहेगा। माँ-पिताजी भी तुम्हारे ख़राब प्रदर्शन से काफी चिंतित है।
तुम्हारा शुभचिंतक
सुनीलम

4. पानी का महत्व समझाते हुए अपने छोटे भाई को पत्र

पानी के बिना जीवन कल्पना कोई भी नही कर सकता है। रोज सुबह से लेकर शाम तक पानी के बिना कोई सजीव प्राणी जीवित ही नही रह सकता। कारखानों, कृषिकार्य, हस्पताल, उद्योगों.., से लेकर हर जगह पानी आवश्यक है। इसलिए पानी को व्यर्थ बहने नही देना चाहिए।

प्रिय रितेश,
अगले कुछ दिनों बाद विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा. मैं इस दिन को जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अंग “पानी के महत्व” को तुम्हें समझाऊंगा. क्योंकि तुम नहाते समय ढेर सारा पानी बहते हो, जो बिलकुल गलत है. आज शहरों में साफ़ पानी खरीदकर दैनिक व्यवहार में लाना पड़ता है। शहरी क्षेत्रों में पानी का बहुत अभाव है। परन्तु यह प्रकोप शहर से गांवों की ओर आ चुका है।

हर जगह पक्की सड़कों का जाल, पक्के मकान ने जल को भूमिगत होने से ही रोक दिया है। उद्योंगों और कारखानों से निष्काषित अपरिष्कृत जल नदियों और मृदा की उर्वराशक्ति को बर्बाद कर देता है। विकास और पोजेक्टस के नाम पर पेड़ों का अत्यधिक कटाई हुआ। यही कारण ऋतू असामयिक परिवर्तन हुआ। मानसून प्रभावित हो रहा। किसी साल तेज़ बारिश तो, किसी साल सिर्फ सुखा होना आज के समय आम हो चुका है। इससे हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में है।

रितेश, तुम दैनिक जीवन में इन आदतों को अपनाकर पानी को बर्बाद होने से बचा सकते हो।

  • नल खुला रखकर ब्रश मत करना।
  • नदी-नालों में कचड़ा मत फेंकना ।
  • लोगों और बंधुओं को जल संरक्षण का महत्व बताना।
  • पेड़-पोधों को जरुर उगाना और लोगों को भी प्रोत्सहित करना।
  • अपने कमरे के बालकनी में फुल के गमले लगाना ।
  • जब दोस्तों को कोई गिफ्ट देना हो तो एक फूल और गमला भेंट करना।

मुझे पूरा भरोसा है कि, तुम मेरे बताये रास्ते पर चलोगे। और पानी के महत्व को समझ गये होगे।
तुम्हारा शुभचिंतक
बलदेवसिंह

5. परिश्रम का महत्व बताते हुए छोटे भाई को पत्र लिखिए

किसी को भी परिश्रम बिना सफलता नही मिलता है। परिश्रम के बिना कुछ भी हासिल नही कर सकते। हमारे पिताजी हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत मेहनत करते है। अगर तुम बड़े-बड़े सपने देखते हो, तो मेहनत भी तुम्हें ही करना होगा।

प्रिय शुभाशीष,
तुम्हारे अठारहवें जन्मदिन का ढेर सारी शुभकामनाएं। मैं जानता हूँ की तुम मेहनतकश छात्र हो, फिर भी में तुम्हारा मनोबल ना टूटे, इसलिए परिश्रम का महत्व बेहतर तरीके से समझाने के लिए ये पत्र लिख रहा हूँ। देखो शुभाशीष, परिश्रम को दो प्रकार से बाँटा जा सकता है। एक है शारीरिक परिश्रम और दूसरा है मानसिक परिश्रम। शारीरिक परिश्रम से अर्थ – हमारे देह द्वारा किया गया मेहनत से है।

मानसिक परिश्रम का अर्थ – ज्ञान, कौशल, तर्कशीलता, चरित्र निर्माण आदि से है। जब तुम शारीरिक परिश्रम के साथ साथ मानसिक परिश्रम भी करोगे तो लोगों के मध्य तुम्हारा महत्व बढ़ेगा। दुनिया में हर व्यक्ति शारीरिक परिश्रम करता है, लेकिन जो मानसिक परिश्रम भी करता है, उसका महत्व ज्यादा बढ़ता है। जैसे मजदूर और इंजिनियर, दोनों ही सामान समय मेहनत करते है, परंतु, इंजिनियर का पारिश्रमिक मजदूर से काफी ज्यादा होता है। क्योंकि इंजिनियर ने पढ़ाई-लिखाई करके मानसिक परिश्रम किया है।

अपने मानसिक क्षमता को विकास किया है। विद्यार्थी जीवन में दुनिया भर का दायित्व ना के बराबर होता है। यही समय होता है, कि जी जान लगाकर मेहनत करों। अगर विद्यार्थी मेहनत से पीछे भागेंगे, तो आगे बहुत मुश्किलें आयेंगे। तुम्हारे पास दो चॉइस है, या तो आज मेहनत का दामन थाम लो, और बाकी जिंदगी आराम से जियो । याफिर अभी आराम कर लो और जिंदगीभर समझौते की जिंदगी जियो।

अपनी पूरी ताकत, जितनी जल्दी भविष्य निर्माण में लगाओगे तो उतना जल्द ही कामयाबी मिलेगा। कभी भी दूसरों के भरोसे कोई काम मत छोड़ना. अपने हिस्से की लड़ाई हर किसी को खुद ही लड़ना पड़ता है। कोई अन्य नही आएगा, तुम्हारे साथ देने के लिए।
अंत में यही कहूँगा कि, मेहनत सफलता का दूसरा नाम है। यह पत्र कैसा लगा, मुझे जरुर बताना।
तुम्हारा शुभचिंतक
शिशिर कोड़ा।

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