आपदा प्रबंधन क्या है। परिभाषा, प्रमुख तत्व, योजना

सभी सजीव प्राणियों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ है. लेकिन फिर भी प्राकृतिक विभीषिका रोकने में असफल है.

प्राकृतिक आपदाएं उतना ही पुरातन है, जितना कि स्वयं प्रकृति का निर्माण.

प्राकृतिक आपदाएं घटित होना कभी बंद नही होंगे. कभी समय अंतराल पर तो कभी अप्रत्याशित प्रकट होते रहेंगे.

जैसे कि मानसूनी समय पर बाढ़ आना आम है. वही सुनामी, चक्रवात, भूकंप आने का कोई निश्चित समय नही है.

आज विज्ञान और तकनीक काफी विकसित है. जिससे समय रहते उचित प्रयासों द्वारा विनाशों में कमी संभव है. इसलिए आपदाओं से निबटने के लिए सटीक रणनीति चाहिए.

जो आपदा प्रबंधन से ही संभव होगा.

परिभाषा

आपदा प्रबंधन में अतीत के घटित आपदाओं से सबक लेकर, भविष्य के संभावित क्षति को कम किया जाता है. अतः हम कह सकते हैं, कि

प्राकृतिक आपदाओं के विनाशकारी प्रभाव से मानव समुदाय के क्षति रोकने के लिए उठाए गए कदमों को आपदा प्रबंधन कहते है.

आपदा प्रबंधन के अंतर्गत राहत कार्य, पुनर्वास, जन-जागरूकता, और बचाव कार्य आदि सम्मिलित है.

आपदा प्रबंधन के प्रमुख तत्व

aapda-prabandhan-kya-hai-evn-pramukh-ghatak

1. तैयारी(Preparedness)

तैयारी से तात्पर्य, किसी जोखिम से पूर्व हमारे लड़ने के सक्षमता से है. तैयारी कई प्रकार से किया जाता है.

लोगों में जागरूकता फैलाना

जागरूकता, जोखिम कम करने में मदद करता है. इसलिए आपदाओं के प्रति जागरूक होना जरुरी है.

जागरूकता स्कूल, पंचायत, नुक्कड़ नाटक या डिजिटल माध्यमों से संभव है. संकटग्रस्त इलाकों में बसे लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करना है.

अतिआवश्यक संसाधनों का भंडारण रखना

अनाज, टोर्च-लाइट, कपड़े, दवाइयां आदि अतिआवश्यक वस्तुएं है. संकटग्रस्त परिस्थितियों पर ये वस्तुएं कारगार साबित होते हैं.

सूचनातंत्र सुदृढ़ करना

सूचना तंत्र आपदा प्रबंधन कार्य कुशलता को मजबूत बनाता है. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सतर्कता ही सुरक्षा प्रदान करेगा.

कमजोर बिन्दुओं को चिन्हित करना

अति प्रभावित क्षेत्रों को चिन्हित करना चाहिए. सामुदायिक जिम्मेवारी के तहत कार्यों का वर्गीकरण करते हुए योजनायें तैयार करना होगा.

2. अनुक्रिया(Response)

आपदा घटित होने समयाविधि के दौरान बचाव कार्य संपन्न करना अनुक्रिया कहलाता है. अनुक्रिया, जान-माल क्षति रोकने के लिए कदम उठाये जाते हैं. जो की निम्नलिखित है.

आपदा प्रबंधन लक्ष्यों का परिपालन करना

आपदाओं से संभावित नुकसान कम करने हेतु, प्रबंधन लक्ष्यों का अनुपालन अनिवार्य है.

इससे अंतर्गत सरकार द्वारा निर्गत नियमों का पालन, प्रशासन कराता है. एक केंद्रीकृत कंट्रोल रूम से सभी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं.

राहत कार्य चलाना

बचाव कार्य व्यक्तिगत, सामुदायिक, सभी स्तरों से करना चाहिए. सामुदायिक जिम्मेदारी निर्वहन करते हुए राहत कार्य संपन्न करना होगा.

प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पहुंचाना

बाढ़, भूकंप, सुनामी जैसे हालातों में लोग गंभीर परिस्थितियों में फंसते है.

ऐसे में लोगों को योजनाबद्ध तरीके से सुरक्षित स्थान पहुँचाना होगा. छोटे बच्चों, बुजुर्गों, मरीजों, महिलाओं का सबसे पहले बचाव करना चाहिए.

चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करना

घायलों और पीड़ितों को उचित स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराना होगा.

घायल लोगों को समय पर उपचार नही मिलने पर जानमाल क्षति होता है.

खाने पीने का सुविधां देना

आपदाग्रस्त क्षेत्रों पर खाने-पीने और आश्रय का अभाव होता है.

संसाधनों का बराबर हिस्सेदारी सभी को मिलना चाहिए. ताकि सभी लोगों को समान सुविधायें प्राप्त हो.

3. पुनरुथान(Recovery)

आपदाएं थम जाएं तो जीवनयापन को वापस पटरी पर लाना आवश्यक है. आर्थिक, व्यापारिक परिस्थितियों में पुनः संतुलन लाने के लिए, नुकसानों का भरपाई जरुरी है. पुनरुथान रफ़्तार ही आर्थिक विकास दर निर्धारित करेगा.

जर्जर इमारतों को ढहा देना

आपदाओं के पश्चात क्षतिग्रस्त मकान ठहरने लायक उचित नही. कभी भी जर्जर मकान टूट कर गिर सकते हैं. जो वस्तुएं आपदाओं में ख़राब नही हुए हो, उन्हें वापस व्यवहार पर लाया जाए.

संचार एवं परिवहन सेवाएँ शुरू कराना

संचार एवं परिवहन सेवाएं विकास का रीढ़ है. इन सेवाओं को जितना जल्दी हो सके, उतना ही जल्दी शुरू कर देना चाहिए.

आपदा में गुमनाम हुए एवं मृतकों को चिन्हित करना

गुम हुए लोगों का खोजबीन कर बिछड़े परिवार से मिलाना होगा. मृतकों का उचित क्रियाक्रम संस्कार द्वारा विदाई देना चाहिए. हालांकि अधिक जानमाल नुकसान परिस्थिति में सामूहिक क्रियाक्रम ही संभव है.

आर्थिक एवं सामजिक सहायता प्रदान करना

आपदा उपरान्त अधिकतर वस्तुएं बर्बाद होते है. इसलिए सरकार को चाहिए कि लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाए. इससे लोग को जीवनयापन में थोड़ा सहूलियत मिलेगा. लोगों को रोजगारपरक अवसर भी उपलब्ध कराना होगा.

स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करना

आपदाएं, अपने साथ कूड़ा-कचरा और बीमारियाँ छोड़कर जाते है. बगैर स्वास्थ्य सुविधाओं के देश प्रगति नही कर सकता. इसलिए जल्द से जल्द स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करना आवश्यक है.

4. रोकथाम(Prevention)

संगवेदनशील क्षेत्रों पर बस्ती बसने पर प्रतिबन्ध लगाना और वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराना

आपदा प्रभावित क्षेत्रों में आपदारोधी भवन निर्माण कराना

जोखिम आकलन करना

विपदाओं से सबक लेकर भविष्य के क्षति को इस तरह के नुकसान ना हो इसके लिए भी ठोस कदम उठाना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *